Friday, March 28, 2008

काश मैं कुत्ता होता...


कविलाश मिश्रा

हाल ही में महानगर में एक सरकारी महकमे की तरफ़ से एक कुता प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। कुत्तों के बारें में मैं ख़ुद को अगर विशेषज्ञ नही मानता था तो उससे से कम भी नही समझता था। गाँव से लेकर शहर तक मेरा पाला कई बार कुत्तों से पड़ चुका था। लेकिन डौग शो में जाकर मैंने पाया की कुत्तों के बारें में मेरी जानकारी किसी नौसिखिये जैसी थी। आयोजन में जाकर मैंने जो देखा उसकी चर्चा तो मैं बाद में करूंगा लेकिन वहाँ पहुंचकर मुझे अपने साथ गुजरा एक वाकया याद आ गया जो मैं यहाँ भी बांटना चाहूंगा

कई साल पहले मेरे एक मित्र मेरा कुत्ता प्रेम देखकर मुझे कुत्ता खरीदवाने ले गया। एक डोबर्मन मुझे पसंद आया लेकिन मैंने उसे इसलिए नही ख़रीदा क्यूंकि उसकी कीमत पाँच हज़ार रूपैये थी। लेकिन मैं पसंद आने पर भी एक अन्य पामेरियन भी इसलिए ही नही खरीद पाया क्यूंकि उसकी कीमत भी चार हज़ार रूपैये थी। मन मारकर मैं लौट आया। मेरे दोस्त ने मुझ पर लानत मारी। शौक कुत्ते के और खर्च से डर, भला कैसे संभव है? वक्त बीता। बच्चे बड़े हुए तो घर में कुत्तों की जगह टेडी की शक्ल में कुत्ते और रीछ आने लगे। एक दिन मेरी बिटिया ने अपनी सहेली के बर्थ डे पर टेडी बियर या टेडी कुत्ता देने की फरमाइश कर डाली। मैं उसे एक गिफ्ट शॉप पर ले गया। वहाँ एक से एक खूबसूरत टेडी बियर और टेडी दोगdइस्प्लय थे। आदम कद के कुत्ते और टेडी पलंग पर आराम फरमा रहे थे।

मैंने मुर्दा कुत्ते की कीमत जाननी शुरू करी। सबसे छोटा कुत्ता ३०० रूपैये का और सबसे बड़ा १५००० रूपैये का। मैं फ़िर हैरान था। मैंने दूकानदार से आख़िर पूछ ही लिया की इतने महंगे टेडी बिकते भी हैं या फ़िर सिर्फ़ दिखाने को रखे हैं? दूकानदार ने मुझे हिकारत की नज़र से देखा और कहा की सामने जो टेडी लगा है उसकी कीमत २१००० रूपैये है। वह अडवांस में ही बिक चुका है। मैंने फ़िर पूछ ही लिया की भइया या किस काम आते होंगे? दुकानदार ने आश्चर्य से एक बार फ़िर मेरी औरदेखा और बोला की साहब आप भी कैसी बात करते हैं, अरे भाई बड़े घरों की लड़किया बिस्तर पर इन्हे साथ लेकर सोती हैं।

इस संवाद के बाद मैं ख़ुद को कोसता हुआ दूकान से बाहर निकला और सोचने लगा की मेरा ज्ञान भी कितना बौना हैजो कुत्तों के बारें में कुछ जानता ही नही ह। एक ओर जहाँ बेजान कुत्ते २० हज़ार से ऊपर की कीमत में बिक रहे हैं वहा मुझे २००० का कुत्ता भी महंगा लग रहा था।

बहरहाल अब बात कुत्ता प्रदर्शनी की। शो में भाँती-भाँती के कुत्ते आए हुए थे। मैंने भी काफी कुत्तों की नसल जानने की कोशिश की। अधिकांश नसल ऐसी थी जिनके बारें में मैंने पहले कभी नही सूना था। उनके मालिकों ने उन्हें ऐसे सजाया था की हर कुत्ता लाजवाब लग रहा था। कुत्ता औरमालिक एक दुसरे के साथ इतनी शान से चल रहे थे की ये अंदाजा ही नही लगाया जा सकता था की कौन किसे घुमा रहा हैमुझे भी लगा की मैं भी एक कुत्ता पालकर अभिजात्या वर्ग में शामिल हो जाऊँ। मैं देख ही रहा था की आज मकान और गाड़ी के साथ कुत्ता रखना भी स्तेतुस स्य्म्बोल बनता जा रहा है तो फ़िर मैं भी ऐसा ही क्यों ना करू। मुझे छोटा सा पमेरियन नसल का कुत्ता भा गया। मैंने उसके मालिक से कुत्ते की कीमत पूछ ली। उस आदमी ने उस की कीमत ५५ से ६० हज़ार रूपैये बताई। मैंने आश्चर्या का भाव जताया ही था की तभी वहाँ मेरे एक मित्र ने आकर कहा की यहाँ क्या देख रहे हो, वहाँ देखो ५ लाख का कुत्ता भी बैठा है। अब तो मैं उस रहीस कुत्ते के दर्शनों के लिए बेकरार हो चुका था। मैंने उसके मालिक सा बात करनी शुरू की तो उसने लाचारगी जताते हुए कहा की भाई साहब मेरी तो किस्मत ख़राब है। अभी हाल ही में एक २० लाख का कुत्ता मार्केट में बिकने के लिए आया था लेक्नी जब तक मैं उसे खरीद पाटाटैब तक मेरे एक प्रतिदुंदी ने खरीद लिया। मैंने उस कुत्ते को देखने की इच्छा जाहिर की तो उसने मुझे एक आदमी के साथ उसके दर्शन के लिए भेज दिया। अब तक इस कुत्ते की कीमत ४० लाख पहुँच चुकी थी। उसकी लगाम थामे व्यक्ति से मेरा परिचय हुआ। मैंने उस व्यक्ति को इस शाही कुत्ते का मालिक होने पर बधाई भी दी। उन्होंने मुझे बताया की असली कुत्ते तो मैं यहाँ लेकर ही नही आया हूँ। दरअसल यहाँ गर्मी काफी हैं ना और वो बेचारा एडजस्ट नही कर पता। वैसी भी ऐसे शो तो उसके लिए छोटे मोटे इवेंट्स हैं। ऐसे अवार्ड्स तो वो जीतता ही रहता है।

बातचीत के बीच एक सिक्यूरिटी गार्ड ने उसके हाथ में एक पैकेट लाकर दिया। मेरी उत्सुकता अब उस पैकेट के प्रति थी। पूछने पर पता चला की ये कुत्ते का भोजन था। एक प्लेट में पैकेट सी सामग्री निकाली जा रही थी। मैंने ऐसी सामग्री पहले कभी नही देखथी। मालूम करने पर पता चला की एक पैकेट की कीमत १००० रूपैये है। यह कुत्तों की इम्पोर्टेड डाइट थी। और उनका प्यारा सा आची सा पूछी सा प्लूटो एक दिन में इसके दो पैकेट उड़ा देता है। ये वह भोजन है जो ये कुत्ते दिनभर में दूध अंडे और डबल रोटी से अलग गटक जाते हैं। अब सोचने की बारी मेरी थी की आख़िर मैं कुत्ता क्यों नही हुआ......??

1 comment:

Unknown said...

कुत्तों से भी जलन, प्यारे इतनी जलन अच्छी नहीं है, कुत्ते बेचारे तो आपको पिज्जा खाता देख व बियर पीता देख ऐसा ब्लाग नहीं चलाते.अगल कुत्ते ब्लाग पर अपने विचार लिखते होते तो कल्पना करो कि वे आपके या हमारे बारे में क्या लिखते