Monday, February 18, 2008

astitva

astitva

मारा मारी मची हुयी है

केवल एक अस्तित्व की

हर तरफ़ हो रही है लड़ाई

केवाल एक अस्तित्व की

लादेन मुशर्रफ जॉर्ज बुश

सबकी है अस्तित्व की लड़ाई

अपना अस्तित्व बनाने को ही

दुसरे की पहचान मिटाई

ग्यारेह सितम्बर को अमरीका की

वर्ल्ड ट्रेड सेंटर गिराई

विश्व माफिया के अस्तित्व को

मिटाने की ही टू थी कार्रवाई

अपने अस्तित्व का एहसास कराया

जब अफगान पर मिसैएल गिराई

दो अस्तित्व के तकराओ में

हाय निर्दोषों ने जान गंवाई

मिट ना सका है फ़िर भी

अस्तित्व अब तक क्यों बुराई का

कद गिरता ही जाता है क्यों

दिनोदिन भलाई का

ज़ोर जबरदस्ती से जो पाया

क्या वोही अस्तित्व है

चिंतन इसका कर जो सके

क्या ऐसा कोई व्यक्तित्व है

अस्तित्व धूँधना है तोह धूँधो

प्रेम सौहार्द और प्यार का

अस्तित्व छीन ना है तू छीनो

अपने क्रोध और अहेंकार का

है द्रर्ध विश्वास ये मेरा

दिन ऐसा भी आयेगा

मिट न सकेगा अस्तित्व भले का

अस्तित्व बुरों का मिट जायेगा

इस कारण छोडो ये भ्रम

अस्तित्व अपना जमाने का

अस्तित्व रहा है बस उसका

जो हो गया ज़माने का

देखो तू यह दुनिया भी

स्वयं एक अस्तित्व है

लहराता है जो सागर

सरिता का अस्तित्व है

प्रतीक्षा सक्सेना

2 comments:

Admin said...

बहुत खूब..

Admin said...

वैसे हमे सबका साथ चाहिए, जीते-जागतों का भी!!!